फ्रेंच अमोर्तीकरण प्रणाली: होम लोन ईएमआई कैसे काम करती है?
भारत और दुनिया भर में ईएमआई (EMI) की गणना 'फ्रेंच सिस्टम' पर की जाती है। जानिए क्यों आप शुरुआत में केवल ब्याज चुकाते हैं।
फ्रेंच अमोर्तीकरण प्रणाली: होम लोन ईएमआई कैसे काम करती है?
नोट: यह प्रणाली भारत में होम लोन के लिए मानक है।
जब आप भारत में होम लोन लेते हैं, तो बैंक आपकी ईएमआई (Equated Monthly Installment) तय करता है। आप हर महीने एक ही राशि (जैसे 25,000 रुपये) देते हैं।
इसे फ्रेंच अमोर्तीकरण प्रणाली कहा जाता है।
ब्याज का जाल
भले ही आप हर महीने 25,000 रुपये दे रहे हैं, उस पैसे का बंटवारा बदलता रहता है।
- शुरुआत में (साल 1-5): आपका मूलधन (Principal) बहुत ज्यादा है।
- ईएमआई: 22,000 रुपये ब्याज / 3,000 रुपये मूलधन।
- अंत में (साल 15-20): मूलधन कम हो गया है।
- ईएमआई: 2,000 रुपये ब्याज / 23,000 रुपये मूलधन।
यह क्यों महत्वपूर्ण है?
बैंक अपना मुनाफा (ब्याज) सबसे पहले वसूल करता है। अगर आप 10 साल बाद अपना घर बेचते हैं, तो आप पाएंगे कि आपने मूलधन बहुत कम चुकाया है।
रणनीति
चूंकि ब्याज शुरुआत में सबसे ज्यादा होता है, शुरुआती सालों में प्रीपेमेंट (Prepayment) करना सबसे फायदेमंद होता है।
- साल 1 में 1 लाख रुपये चुकाने से आप 19 साल का ब्याज बचाते हैं।
- साल 19 में 1 लाख रुपये चुकाने से कोई खास फायदा नहीं होता।
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